पूतिन और एरदोगान के बीच हुई तीन सहमतियाँ
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रूसी-तुर्की रिश्तों के विकास में बाधा बने हुए सवालों का समाधान किया गया
1. तुर्की धारा गैस पाईपलाइन बनाई जाएगी
दो देशों के नेताओं की इस मुलाक़ात के बाद दोनों देशों ने तुर्की धारा गैस पाईपलाइन के निर्माण के बारे में एक अन्तर्सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस गैस पाईपलाइन का निर्माण करने के बारे में प्रारम्भिक सहमति दिसम्बर 2014 में ही हो चुकी थी। यह परियोजना दक्षिणी धारा गैस पाईपलाइन परियोजना के विकल्प के रूप में बनाई गई थी। लेकिन किसी न किसी कारण से इस परियोजना पर अमल का काम टलता रहा। शुरू में तुर्की ने रूस से रियायती मूल्य पर गैस ख़रीदने की पेशकश की, जो रूस को स्वीकार नहीं थी।
इसके बाद यह सवाल उठा कि यह पाईपलाइन इकहरी होगी या दोहरी होगी। इसके बाद तुर्की की वायुसेना के विमानों ने रूसी बमवर्षक विमान को मार गिराया और इसके बाद रूस ने फिर से तुर्की धारा गैस पाईपलाइन परियोजना की जगह दक्षिणी धारा गैस पाईपलाइन का निर्माण करने का फ़ैसला कर लिया था। और इन्हीं सब कारणों से तुर्की धारा पाईपलाइन का निर्माण शुरू न हो सका था।
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लेकिन तुर्की में दस अक्तूबर को हुए वैश्विक ऊर्जा सम्मेलन के दौरान आख़िर दोनों नेताओं ने दो देशों के बीच अन्तर्सरकारी समझौता करके क़रीब दो साल पहले शुरू किए गए काम को पूरा करने के लिए सहमति की अन्तिम मुहर लगा दी। यही नहीं दोनों देशों के बीच यह सहमति भी हो गई कि रूस तुर्की को इस परियोजना के तहत गैस के मूल्यों में रियायत देगा।
मुलाक़ात के अन्त में रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने कहा कि इस तरह हम तुर्की के राष्ट्रपति की इस योजना को पूरा करने की ओर क़दम बढ़ाने जा रहे हैं कि तुर्की को ऊर्जा वितरण का एक बड़ा केन्द्र बना दिया जाए।
2. अब रूसी बाज़ारों में फिर से तुर्की के फल मिलने लगेंगे
तुर्की की वायुसेना के विमानों द्वारा नवम्बर 2015 में जब सीरिया में एक रूसी बमवर्षक विमान को मार गिराया गया था तो रूस ने एकतरफ़ा ढंग से तुर्की पर अनेक आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए थे। ये प्रतिबन्ध भी दुपक्षीय सम्बन्धों में एक बड़ी बाधा बने हुए थे। अब इस मुलाक़ात के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने बताया कि रूस की सरकार ने यह तय कर लिया है कि तुर्की के कृषि मालों को रूसी बाज़ारों में फिर से आने दिया जाएगा।
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रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि इस फ़ैसले का फ़ायदा दोनों देशों को होगा। उन्होंने बताया कि बात सिर्फ़ कृषि मालों की यानी नीम्बू प्रजाति के और बीज वाले व गुठली वाले फलों की हो रही है। रूस में इस क़िस्म के फल पैदा नहीं होते हैं। इससे तुर्की को रूसी बाज़ार में फिर से घुसने की सम्भावना मिलेगी और हमारे उपभोक्ताओं को कम दाम पर ये फल उपलब्ध होने शुरू हो जाएँगे।
रूस के राष्ट्रपति ने कहा — तुर्की की नज़र में हम रूस का बाज़ार फिर से तुर्की के मालों की बिक्री के लिए खोल रहे हैं। व्लदीमिर पूतिन ने बताया कि पिछले साल तुर्की ने रूस के बाज़ारों को 50 करोड़ डॉलर का माल निर्यात किया था।
3. सीरिया में आपसी हस्तक्षेप न करने पर सहमति
इस मुलाक़ात के दौरान दुपक्षीय आर्थिक सम्बन्धों के विकास से जुड़े सवालों के अलावा सीरिया से जुड़े सवालों पर भी चर्चा की गई। रूस और तुर्की दोनों देशों के लिए ही सीरिया की समस्या आज विदेश नीति के क्षेत्र में एक प्राथमिक समस्या बनी हुई है। दोनों देशों की टाँग सीरिया में फँसी हुई है। रूस वहाँ आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (इरा) के ख़िलाफ़ वायुसैनिक कार्रवाई कर रहा है, जबकि तुर्की उत्तरी सीरिया में आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (इरा) के ख़िलाफ़ ही ’येफ़्रात की ढाल’ नामक सैन्य कार्रवाई कर रहा है। लेकिन तुर्की की सैन्य कार्रवाई सिर्फ़ ’इरा’ के ख़िलाफ़ ही नहीं है, बल्कि वह उन कुर्द लड़ाकू दस्तों के ख़िलाफ़ भी लड़ रहा है, जो तुर्की के अनुसार अलगाववादी गुट ’कुर्दिस्तान मज़दूर पार्टी’ से जुड़े हुए हैं। उल्लेखनीय है कि कुर्दिस्तान मज़दूर पार्टी के ख़िलाफ़ तुर्की की सरकार 1984 से ही लड़ रही है। इस कुर्दिस्तान मज़दूर पार्टी को तुर्की, अमरीका और यूरोसंघ के देशों में ’आतंकवादी संगठन’ माना जाता है। लेकिन सीरिया के सवाल पर रूस और तुर्की के नज़रियों में बड़ा फ़र्क है। रूस सीरिया में बशर असद की सरकार का समर्थन कर रहा है और सरकार विरोधी विद्रोही गुटों पर हवाई हमले कर रहा है। जबकि तुर्की सीरिया के सरकार विरोधी विद्रोही गुटों का समर्थन कर रहा है तथा बशर असद की सरकार को आतंकवादी सरकार मानता है।
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रूस के आधुनिक तुर्की अध्ययन केन्द्र के राजनीति विभाग के प्रमुख यूरी मवाशेफ़ का कहना है — पिछले अगस्त के महीने में जब तुर्की के राष्ट्रपति एरदोगान ने रूस के साँक्त पितेरबुर्ग नगर की यात्रा की थी, तभी रूस और तुर्की में ’येफ़्रात की ढाल’ नामक सैन्य कार्रवाई करने के बारे में सहमति हुई थी। सीरिया में तुर्की द्वारा शुरू की गई इस सैन्य कार्रवाई पर रूस की सरकार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। यूरी मवाशेफ़ का मानना है कि मास्को और अंकारा के बीच यह मौन सहमति हो चुकी है कि वे एक-दूसरे के कामों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। अब राष्ट्रपति पूतिन की तुर्की यात्रा के समय इस सहमति की पुष्टि करके उसे मजबूत बना दिया गया है। तुर्की का मीडिया और तुर्की के नेता अलेप्पो में (या हैलाब में) रूस द्वारा की जा रही कार्रवाइयों पर चुप्पी साधे बैठे हैं। उन्हें ऊपर से यह बता दिया गया है कि तुर्की को अलेप्पो (हैलाब) से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि रूस ने उत्तरी सीरिया तुर्की को सौंप दिया है।
अंकारा स्थित अन्तरराष्ट्रीय सामरिक अनुसन्धान संगठन नामक एक स्वतन्त्र संगठन में यूरेशियाई राजनीति के एक विशेषज्ञ करीम ख़ास का मानना है कि असल में मुख्य मुद्दा यह है कि राष्ट्रपति एरदोगान और राष्ट्रपति पूतिन के बीच सीरियाई संकट के सिलसिले में इस बात पर सहमति हो चुकी है कि विदेश मन्त्रियों, सैन्य मुख्यालयों तथा ख़ुफ़िया एजेन्सियों के बीच आपसी बातचीत की जो उच्चस्तरीय त्रिपक्षीय प्रणाली है, उसे ही इस मामले को सुलझाने देना चाहिए। अलेप्पो की स्थिति, सीरिया में पैदा हुए मानवीय संकट और आतंकवादियों व विद्रोही गुटों के बीच दिखाई दे रहे फ़र्क पर इसी प्रणाली के माध्यम से चर्चा की जाएगी।
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