रूस एक अमीर देश है या... ग़रीब देश?
रूस दुनिया का एक ऐसा देश है, जहाँ रहस्यों और विरोधाभासों की कमी नहीं है। इस सच्चाई की पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि गूगल में विदेशी लोग एक साथ ही इस तरह के सवाल पूछते नज़र आते हैं – रूस इतना ग़रीब देश क्यों है, या रूसी लोग इतने ज़्यादा अमीर क्यों हैं। रॉबी विलियम्स इण्टरनेट में एक विडियो क्लिप डालकर रूसियों पर हँसते हैं कि रूसी धन्नासेठ किस तरह से ऐश करते हैं, जबकि ’गार्डियन’ अख़बार लिखता है कि रूस में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले लोगों की संख्या 2014 से लगातार बढ़ती जा रही है। सवाल यह उठता है कि रूस एक ग़रीब देश है या... एक अमीर देश?
प्राकृतिक संसाधनों वाली महाशक्ति
जब हम रूस के अमीर देश होने की बात करते हैं तो सबसे पहले रूस के प्राकृतिक संसाधनों का ख़याल आता है। वास्तव में प्राकृतिक गैस के भण्डारों की दृष्टि से रूस दुनिया में पहले नम्बर पर आता है। ओपेक के अनुसार, दुनिया की क़रीब एक चौथाई प्राकृतिक गैस रूस के पास है। ब्रिटिश पैट्रोलियम का कहना है कि कच्चे तेल के भण्डारों की दृष्टि से रूस दुनिया में पाँचवे नम्बर पर है।
रूस इतना महाविशाल देश कैसे बना?
रूस के आर्थिक विकास मन्त्रालय ने बताया कि 2015 में रूस के ईंधन-ऊर्जा उद्योग का निर्यात रूस के कुल निर्यात का 63 प्रतिशत रहा। और रूस के बजट का 43 प्रतिशत हिस्सा तेल और गैस की बिक्री से प्राप्त आय से बनता है। दुनिया भर में कहीं भी इतने अधिक घने वनक्षेत्र नहीं हैं, जितने रूस में हैं यानी टिम्बर के मामले में भी रूस दुनिया का सबसे सम्पन्न देश है और मीठे पानी की दृष्टि से देखें तो रूस पूरी दुनिया में सिर्फ़ ब्राज़ील से पीछे है। और इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। आख़िर रूस भौगोलिक दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा देश भी तो है। अगर उसके पास सबसे ज़्यादा प्राकृतिक संसाधन नहीं होंगे तो किसके पास होंगे?
लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तेल और गैस के निर्यात पर ही पूरी तरह से निर्भर हो जाना रूसी अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरनाक है। इसका मतलब यह है कि रूस की अर्थव्यवस्था तेल और गैस की क़ीमतों पर निर्भर है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि प्राकृतिक संसाधनों और उनकी क़ीमतों पर रूस की निर्भरता को घटाने की ज़रूरत है।
मन्दी के दौर से निकलना
2014-2016 में दुनिया के बाज़ारों में कच्चे तेल की क़ीमतें मुँह के बल नीचे आ गिरीं। 2014 तक प्रति बैरल तेल की क़ीमत 111 डॉलर थी, जो घटकर 32 डॉलर रह गई। इसके अलावा उन्हीं दिनों पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबन्ध भी लगा दिए। इन सभी कारणों से रूस की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा। 2015 में रूस के सकल घरेलू उत्पाद में 2.8 प्रतिशत की कमी आई। लेकिन 2016 में तेल की क़ीमत स्थिर हो गई। रूसी आँकड़ा विभाग के अनुसार, रूसी अर्थव्यवस्था में होने वाली गिरावट का स्तर भी घटकर सिर्फ़ 0.6 प्रतिशत रह गया।
2016 में रूस का सकल घरेलू उत्पाद क्रय शक्ति की दृष्टि से 37 खरब 50 अरब रह गया यानी रूस दुनिया में छठे स्थान पर बना हुआ है। परामर्श एजेंसी ’पीडब्ल्यूसी’ के पूर्वानुमान के अनुसार, 33 साल बाद यानी 2050 में भी रूस दुनिया में छठे नम्बर पर ही बना रहेगा। जहाँ तक प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की बात है, तो विश्व बैंक के अनुसार 2015 में वह 9054 डॉलर प्रतिव्यक्ति रहा और इस दृष्टि से रूस दुनिया में 66 वें स्थान पर है।
पूतिन को ’माचो’ की मरदानी छवि से लगाव क्यों है?
समाचार समिति ’इन्तेरफ़ाक्स’ से बात करते हुए अर्थशास्त्रियों ने बताया कि रूस धीरे-धीरे मन्दी के दौर से बाहर आ रहा है और रूसियों की आय स्थिर होती जा रही है। लेकिन फिर भी रूसी लोगों की वास्तविक आय घट रही है। 2016 में उससे पहले साल के मुक़ाबले रूसी जनता की वास्तविक आय में 5.9 प्रतिशत की कमी हुई।
2016 में रूसियों का औसत वेतन 36 हज़ार रुबल था, जो फ़रवरी 2017 की मुद्रा विनिमय दर के आधार पर क़रीब 620 डॉलर के लगभग बनता है। ’बिजनेस लाइफ़’ अख़बार के अनुसार, दूसरे देशों से रूसियों के वेतन की तुलना करें तो रूसी लोग पश्चिमी देशों के निवासियों की तुलना में कम कमाते हैं, लेकिन भूतपूर्व सोवियत संघ से अलग हुए सभी देशों के निवासियों की तुलना में रूसियों का वेतन सबसे ज़्यादा है।
जन-असमानता वाला देश
रूसी जनता अमीर है या नहीं, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है, क्योंकि रूस में ज़्यादातर सम्पदा कुछ थोड़े से लोगों के हाथों में ही केन्द्रित है। क्रेडिट स्विस ग्लोबल वैल्थ रिपोर्ट के अनुसार, रूस की साढ़े 74 प्रतिशत सम्पदा रूस के 1 प्रतिशत लोगों के हाथों में है। फ़ोर्ब्स-2016 की सूची के अनुसार, रूस में 77 धनपति ऐसे हैं, जिनके पास एक अरब डॉलर से ज़्यादा सम्पत्ति है। लेकिन आँकड़े दिखाते हैं कि रूसी अरबपतियों की संख्या घटती जा रही है क्योंकि 2015 में रूस में अरबपतियों की संख्या 88 थी।
रूस की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और लोक प्रशासन अकादमी के सामाजिक विश्लेषण और पूर्वानुमान संस्थान की विशेषज्ञ येलेना ग्रीशिना ने बताया – रूस के सरकारी आँकड़ों के अनुसार पिछले सालों में देश में असमानता घट रही है, लेकिन फिर भी दूसरे देशों के मुक़ाबले रूस में भारी असमानता बनी हुई है।
मास्को क्यों दुनिया का एक सबसे सुरक्षित नगर है?
अमीरी और ग़रीबी सापेक्ष हैं
रूस के आँकड़ा विभाग के अनुसार रूस में 2 करोड़ 3 लाख लोग ग़रीब हैं यानी रूस की 13.9 प्रतिशत जनता ग़रीब है। इन सभी लोगों की आय मासिक निर्वाह स्तर यानी 9889 रूबल (या 167 डॉलर) से कम है। लेकिन फ़ोर्ब्स पत्रिका के आर्थिक विश्लेषक टिम वोरस्टॉल का कहना है कि रूस में चल रही भारी मन्दी के बावजूद और भारी असमानता के बावजूद यह कहना उचित नहीं होगा कि रूसी लोग बहुत ग़रीब हैं।
इण्टरनेशनल बिजनेस टाइम्स में प्रकाशित एक लेख का विश्लेषण करते हुए, जिसमें यह ग़लत जानकारी दी गई थी कि रूसी लोग अपना आधा मासिक वेतन अपने भोजन पर खर्च कर देते हैं (जबकि वास्तव में वे सिर्फ़ 11-12 प्रतिशत वेतन ही खाने-पीने पर खर्च करते हैं), टिम वोर्स्तल लिखते हैं – अगर रूसी लोग अपनी आय का 50 प्रतिशत हिस्सा अपने भोजन पर खर्च कर देते हैं तो इसका मतलब यह है कि रूसी लोग भी उतने ही ग़रीब हैं, जितने बांग्लादेश के लोग, जबकि यह बात सच नहीं है। रूसी लोग तो अभी इस मामले में बांग्लादेश के निवासियों के आसपास भी कहीं दिखाई नहीं देते।
संस्कृत और रूसी भाषाओं के बीच सास - बहू का रिश्ता