पुरुषों के पेशे चुनने वाली रूसी महिलाएँ
गलीना स्लिसरियोवा, विस्फोट विशेषज्ञ, रूसी आपदा विभाग, आयु 57 वर्ष
गलीना स्लिसरियोवा — रूस की एकमात्र महिला विस्फोट विशेषज्ञ हैं, जो रूस के कलूगा प्रदेश के ओबनिन्स्क आपदा केन्द्र में काम करती हैं।
गलीना ने बताया — मैंने यह पेशा नहीं चुना बल्कि इस पेशे ने ही मुझे चुन लिया। अपने लड़कपन में मुझे जंगल में जाकर खोजबीन करना बहुत पसन्द था। अक्सर ऐसा होता था कि मैं बारुदी सुरंगों या पुराने बमों को वहाँ पड़े हुए देखती थी, जो दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जंगल में छूट गए थे। इस तरह जंगल में घूमने के लिए मुझे विस्फोट विशेषज्ञ का पेशा चुनना पड़ा ताकि मैं अपने रास्ते में दिखाई देने वाले बमों को निष्क्रिय कर सकूँ।
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गलीना के सहयोगी और सहकर्मी पुरुष एक विस्फोट विशेषज्ञ के रूप में गलीना के काम का ऊँचा मूल्यांकन करते हैं। लेकिन अपनी नौकरी के शुरू में उन्हें पुरुषों की तरफ़ से बार-बार मर्दवादी रवैये का सामना करना पड़ा था।
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गलीना ने बताया — शुरू में सब पुरुषों की प्रतिक्रिया एक-सी ही होती थी — अरे, क्या कोई औरत भी बारुदी सुरंग को नष्ट कर सकती है? या — इसके साथ, भला, कौन काम करेगा? लेकिन मेरे साथ काम करने के बाद मेरे बारे में उन पुरुषों का रवैया बदल जाता था। उसके बाद वे कहने लगते थे — तुम्हारे साथ काम करते हुए हमें ज़रा भी डर नहीं लगता। औरतों में आत्मसुरक्षा की सहज भावना होती है और किसी भी विस्फोट विशेषज्ञ के लिए इस तरह की ख़ुद-ब-ख़ुद महसूस करने की ताक़त का होना बहुत ज़रूरी होता है।
कई सालों के अपने काम के दौरान गलीना ने हज़ारों बमों और विस्फोटकों को निष्क्रिय किया है। वे हमेशा अपना काम करने के लिए तैयार रहती हैं क्योंकि उन्हें कभी भी किसी बम को नष्ट करने के लिए बुलाया जा सकता है।
— कभी-कभी तो हालत बहुत नाज़ुक और भयानक होती है। लेकिन मन में डर उसके बाद पैदा होता है, जब काम ख़त्म हो जाता है, जब बम को बेकार करके हटा दिया जाता है।
गलीना विवाहित हैं। उन्हें सिलाई-बुनाई करना पसन्द है। वे पाक कला में भी निपुण हैं। इतिहास की जानकारी पाने और इतिहास से जुड़ी किताबें पढ़ने का उन्हें बेहद शौक है और वे रूसी जीप ’गाज़-66’ चलाना पसन्द करती हैं।
वेरा मक्सीमवा, पायलट, आयु 35 वर्ष
वेरा मक्सीमवा ’एयरोफ़्लोत’ एयरलाईन में काम करती हैं और बोइंग-767 चलाती हैं। वे विमान की सहायक पायलट हैं।
हालाँकि वेरा के परिवार में किसी का भी हवाई-जहाज़ों से कोई रिश्ता कभी नहीं रहा, लेकिन वेरा अपने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा करती थीं। पिछली सदी के अन्तिम दशक के आख़िर में जब वेरा ने फ़्लाइंग कालेज में दाखिला लेने की कोशिश की तो उन्हें वहाँ दाखिला नहीं मिला। तब उन्होंने अध्यापन प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ना शुरू कर दिया। लेकिन वह सपना उनकी आँखों में झिलमिलाता रहा, जिसे वे बचपन से ही देख रही थीं।
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अध्यापन प्रशिक्षण विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद वेरा ने फिर से पायलट बनने की कोशिश की। इसके लिए उन्हें बहुत से सर्टिफ़िकेट और प्रमाणपत्र जमा करने पड़े। उन्हें कई बार चिकित्सा-जाँच से गुज़रना पड़ा। तरह-तरह की कई परीक्षाएँ देनी पड़ीं। वेरा ने बताया — पायलट बनने के लिए विमानन विश्वविद्यालय में दाखिला लेना शायद मेरी ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल दौर रहा।
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पायलट बनने की पढ़ाई और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद दो साल से ज़्यादा समय तक वेरा मक्सीमवा ने रूस के सुदूर-पूर्वी इलाके में मिरीन्स्की एयरलाईन में काम किया। उसके बाद उन्हें मस्क्वा (मास्को) की एक एयरलाईन में पायलट की नौकरी मिल गई।
वेरा ने मुस्कुराते हुए कहा — रूस में आम तौर पर औरतें हवाई जहाज़ नहीं चलातीं। इसलिए विमान के यात्री यह जानकर दंग रह जाते हैं कि मैं उनका विमान उड़ाऊँगी। लेकिन उन्हें यह सुनकर अच्छा लगता है।
पर सहकर्मी पुरुष-पायलटों के साथ बड़ी कठिनाई होती है। वेरा ने बताया — आप तो जानते ही हैं कि रूस में कार चलाने वाली औरतों का कितना मज़ाक उड़ाया जाता है। और अगर कोई औरत विमान चलाती हो तो मरदों की तरफ़ से दबाव और सौ गुणा बढ़ जाता है। लेकिन मैं अपने काम में किसी तरह की रियायत या छूट नहीं चाहती। जब मरदों के साथ कुछ समय तक काम कर लेती हूँ तो वे ख़ुद यह बात समझ जाते हैं कि मैं कितनी योग्य और दक्ष पायलट हूँ। उसके बाद मेरे बारे में उनकी राय बदल जाती है। लेकिन इसमें समय लगता है।
वेरा विवाहित हैं और दो बच्चों की माँ हैं। उन्हें फ़ोटोग्राफ़ी और खेलों का शौक है।
वेरानिका नोविकवा, राजनयिक, आयु 26 वर्ष
पिछले दो साल से वेरानिका सोमालिया और जिबूती में काम करने वाले रूसी दूतावास में राजनयिक हैं। पूरे दूतावास में वे अकेली महिला कर्मी हैं।
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वेरानिका ने बताया — जब से होश सँभाला है, मेरे मन में, बस, एक ही इच्छा थी कि मुझे डिप्लोमैट बनना है। मुझे बचपन से ही विदेशी भाषाएँ सीखने का शौक रहा है। विदेशी संस्कृतियों में मेरी दिलचस्पी रही है। विदेशी लोगों की ज़िन्दगी मुझे हमेशा आकर्षित करती रही।
— अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने मास्को के राजकीय अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध संस्थान में दाखिला ले लिया। छह साल तक मैंने इस संस्थान में पढ़ाई की और दिन भर में मैं मुश्किल से डेढ़-दो घण्टे ही सो पाती थी। लेकिन संस्थान की पढ़ाई मेरे बहुत काम आई। मैं छह भाषाएँ जानती हूँ और उन्हें फ़र्राटे से बोल लेती हूँ, समझ लेती हूँ, लिख लेती हूँ।
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जिबूती में घूमने-फिरने की कोई जगह नहीं है। न थियेटर ही हैं और न सिनेमाहॉल ही। साल में आठ महीने तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहता है।
वेरानिका ने कहा — जिबूती एक छोटा-सा देश है। इसलिए बहुत कम लोग उसके बारे में जानते हैं। जब मैं लोगों को बताती हूँ कि मैं जिबूती में काम करती हूँ तो मुझसे सबसे पहला सवाल यही पूछा जाता है — यह देश कहाँ पर है? यह कोई देश है या शहर है? वहाँ सड़कें होती हैं या नहीं? कहीं वहाँ अकेले घूमना ख़तरनाक तो नहीं होता? जैसे ही मैं उन्हें सोमाली के बारे में बताती हूँ तो सबकी आँखें आश्चर्य से फैल जाती हैं और सवालों की झड़ी लग जाती है — क्या तुमने वहाँ डकैतों को देखा है? तुम्हें डर नहीं लगता? कैसे काम करती हो तुम वहाँ? वहाँ तो लाईफ़-जैकेट पहनकर घूमना पड़ता होगा?
लेकिन कूटनीतिज्ञ वेरानिका इन सवालों का जवाब देते हुए बताती हैं कि जिबूती एक शान्त शहर है, जहाँ बड़ी आसानी से घूमा-फिरा जा सकता है। सोमालियाई डकैतों को उन्होंने कभी नहीं देखा है और उन्हें लाईफ़-जैकेट पहनने का भी कोई अनुभव नहीं है। उनकी बातें सुनने के बाद ज़्यादातर औरतें उनका समर्थन करती हैं। लेकिन पुरुष उनके काम पर सन्देह करने लगते हैं। वेरानिका ने कहा — हमारे समाज में, हमारे देश में अभी भी लैंगिक पक्षपात बहुत ज़्यादा है। आज भी बहुत से लोग यह मानते हैं कि कूटनीति का काम औरतों के बस का नहीं। करेला और ऊपर से नीम चढ़ा। एक तो मुश्किल काम और उसपर अफ़्रीका में नियुक्ति। मेरा ख़याल है कि इन पूर्वाग्रहों की वजह से ही हमारा काम मुश्किल हो जाता है।
जब वेरानिका के पास समय होता है तो वे अपनी पीएच०डी० का काम करती हैं या अपने एक सहकर्मी के सात वर्षीय पुत्र को अँग्रेज़ी पढ़ाती हैं। वेरानिका को सिलाई और बुनाई भी पसन्द है और उन्हें प्यानो बजाने का भी ख़ूब शौक हैं।
इस लेख का सर्वाधिकार ’रस्सीस्कया गज़्येता’ के पास सुरक्षित है।
भारत में रूसी बहू