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क्या भारत रूसी हथियारों से पाकिस्तान पर झटपट हमला कर सकता है?

हाल ही में भारत के थलसेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने यह स्वीकार करते हुए कि ’कोल्ड स्टार्ट’ की अवधारणा पारम्परिक सैन्य अभियानों के दौरान ही लागू की जा सकती है, कहा — भारत द्वारा पश्चिमी सीमा पर अपनी टैंक सेना की तैनाती इस ओर इशारा करती है कि भारत पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक छोटा और झटपट ख़त्म हो जाने वाला चपल युद्ध करने के लिए अपनी सेना को ताक़तवर बना रहा है।

भारत की सेना ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक चपल युद्ध की रणनीति बनाकर उसे ’कोल्ड स्टार्ट’ अवधारणा नाम दे दिया है। यह अवधारणा तब विकसित की गई, जब यह बात सामने आई कि भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत छोटी अवधि के चपल-युद्ध ही व्यावहारिक रूप से उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। इन युद्धों की अवधि दो या तीन सप्ताह लम्बी नहीं खिंचनी चाहिए, जैसाकि आम तौर पर होता है। परन्तु भारतीय सेना की छावनियाँ तो पूरे भारत में यहाँ-वहाँ फैली हुई हैं और युद्ध के लिए उनको इकट्ठा करने में लम्बा समय लग सकता है। इसके अलावा भारतीय नेता अक्सर अपनी सेना को दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए युद्ध के मैदान में भेजते हुए घबराते भी हैं। 

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अब यह तय किया जा चुका है कि ’कोल्ड स्टार्ट’ युद्ध कैसा होगा। 72 से 96 घण्टों की बहुत छोटी अवधि तक चलने वाले इस अभियान में भारतीय सुरक्षा बलों और थल सेना को मुख्य भूमिका दी गई है, जो हमले का आदेश मिलने के तुरन्त बाद बिजली की गति से सरपट हमला करेगी और तीन-चार दिन के भीतर ही पाकिस्तान के अन्दर 80 किलोमीटर तक घुस जाएगी। 

सीमित अवधि के तीव्र आक्रामक अभियानों को पूरा करने के लिए भारत धीरे-धीरे अपने तोपखाने को सक्षम बना रहा है और विमानों व भारी हथियारों को मिलाकर झटपट युद्ध करने वाले अत्यन्त सक्षम सैन्य-दस्तों का सुरक्षा-कवच तैयार कर रहा है। 

रूसी टैंकों की अगुआई

झटपट युद्ध करने में सक्षम ये सैन्य-दस्ते रूसी टैंकों के नेतृत्व में चपल-युद्ध की कार्रवाई करेंगे। रूसी टैंकों के ये दस्ते ही वह ’प्रमुख आक्रामक हथियार’ होंगे, जो बड़ी तेज़ी से पाकिस्तानी इलाके में घुसकर पूरे वेग से आगे बढ़ेंगे। भारत ने अपनी सीमा पर ऐसे टैंक-दस्तों को तैनात कर दिया है और अब वह इन दस्तों को 460 से ज़्यादा नए टी 90एसएम टैंकों से लैस करने जा रहा है।

’आईएचएस जेन्स डिफ़ेन्स वीकली’ पत्रिका के अनुसार, नए टैंकों के अलावा भारत के पास पहले ही 850 से 900 के क़रीब टी-90 भीष्म टैंक हैं। इन टैंकों का निर्माण रूस से लायसेंस लेकर रूसी तक्नोलौजी के आधार पर भारत में ही किया गया है। ये सभी टैंक भारत की उन 18 टैंक रेजिमेण्टों के पास हैं, जो आजकल राजस्थान और पंजाब में तैनात हैं।

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लेकिन पाकिस्तानी ज़मीन को रूसी टैंकों से कुचलने से पहले भारतीय सेना को पाकिस्तानी सुरक्षा कवच को तोड़ना होगा। भारत की पिनाका रॉकेट प्रणाली या रूस की स्मेर्च नामक रॉकेट अग्निवर्शक प्रणाली इसमें भारतीय सेना की सहायता करेगी। उल्लेखनीय है कि स्मेर्च नामक रूसी रॉकेट अग्निवर्षक प्रणाली दुनिया की सबसे अच्छी प्रणाली मानी जाती है और इस रॉकेट प्रणाली की तोपें एक साथ, एक के बाद एक दनादन घातक रॉकेट छोड़ने में इतनी दक्ष हैं कि सारी दुनिया की थलसेनाएँ उससे घबराती हैं।

’मिलेट्री टुडे’ पत्रिका ने स्मेर्च अग्निवर्षक रॉकेट तोप को 'सामूहिक विनाश करने वाला एक हथियार’ बताया है, जो 38 सेकण्ड के भीतर-भीतर 300 मिलीमीटर के बारह रॉकेट छोड़ सकती हैं। ऐसी एक ही तोप से 67 हेक्टेयर के इलाके में तैनात शत्रु सेना को कुछ ही पलों में नेस्तानाबूद किया जा सकता है।

पत्रिका का कहना है कि स्मेर्च अग्निवर्षक तोप से निकले रॉकेट पाकिस्तानी बख्तरबंद वाहनों, पाकिस्तानी टैंकों, पाक तोपों, हवाई अड्डों और दूसरे सैन्य ठिकानों को कुछ ही समय में स्वाहा कर देंगे। इन तोपों का इस्तेमाल करके विशाल शत्रु सेना के सैनिकों को भी बड़ी संख्या को नष्ट किया जा सकता है और आगे बढ़ रही भारतीय सेना के लिए रास्ता साफ़ किया जा सकता है।

इस चटपट हमले के प्रारम्भिक चरणों में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। आवाज़ की गति से भी कई गुना तेज सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले इन मिसाइलों का उत्पादन भारत और रूस मिलकर करते है। ये मिसाइल कुछ ही मिनट में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण 3सी कमान के महत्वपूर्ण ढाँचे को ध्वस्त करके उसकी सारी नियन्त्रण और संचार प्रणाली को नष्ट कर देंगे।

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भारत के पास अन्तरिक्ष में अपने ऐसे जासूसी उपग्रह हैं, जो दुश्मन की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखते हैं और उसकी पल-पल की तुरन्त ख़बर देते हैं। ये उपग्रह पाकिस्तान की खुफिया जानकारी जुटाने में सक्षम हैं। ज्यों ही पाकिस्तानी सेना अपने इलाके में कोई भी गतिविधि शुरू करेगी, भारतीय सेना उसका पता लगाकर ब्रह्मोस मिसाइल से उसका विध्वंस कर देगी। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ठिकानों को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।

’कोल्ड स्टार्ट’ अवधारणा में हमलावर हैलीकाप्टरों को भी महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी गई है। ये हैलिकॉप्टर दुश्मन की बख्तरबन्द सेना को नष्ट करने का काम करेंगे। भारत के पास रूस में बने एमआई-25/35 हमलावर हैलीकाप्टरों के दो स्क्वाड्रन हैं, जो दुश्मन के टैंक दस्तों को मौत के मुँह में पहुँचा देंगे। 

हालाँकि ’कोल्ड स्टार्ट’ अवधारणा में थलसेना ही मुख्य भूमिका निभाएगी, लेकिन कोई भी युद्ध वायुसेना की सहभागिता के बिना सफल नहीं हो सकता है। भारतीय वायुसेना के पास उपस्थित सुखोई एसयू-30 एमकेआई और मिग-29 जेट लड़ाकू विमान आकाश में अपना कौशल दिखाएँगे और पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को धूल चटा देंगे। भारतीय लड़ाकू विमान पाकिस्तानी विमानों को वहाँ तक पहुँचने ही नहीं देंगे, जहाँ भारतीय थलसेना कार्रवाई कर रही होगी। वायुसेना का समर्थन न मिलने पर पाकिस्तानी सेना के अग्रिम दस्ते लड़ाई शुरू होने के कुछ ही घण्टे बाद हथियार डालने पर मजबूर हो जाएँगे।

ऊपर हमने सिर्फ़ उन्हीं हथियारों का ज़िक्र किया है, जो तुरन्त कार्रवाई के लिए ज़रूरी हैं। अन्य उपकरणों में पुल बिछाने वाले टैंकों और सुरंग हटाने वाले वाहनों का ज़िक्र किया जा सकता है। किसी भी युद्ध में ये दोनों उपकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पाकिस्तान में ये दोनों उपकरण भी ज़रूरी होंगे क्योंकि पाकिस्तानी इलाके में नहरों और खाइयों का जाल बिछा हुआ है, जो भारतीय टैंक सेना को आगे बढ़ने से रोकेंगी।

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पाकिस्तान के पास विकल्प

पाकिस्तान अपनी सेना के पास उपस्थित पारम्परिक हथियारों के माध्यम से भारत के इस वेगवान आक्रमण को कुन्द नहीं कर सकता है। पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी और राजनीतिक नेतृत्व भली-भाँति यह जानते हैं कि पाकिस्तान का परमाणिक आधार बहुत कमज़ोर है और भारतीय सेना कभी भी उसे तोड़ सकती है। पाकिस्तान अपने इलाके में घुसने वाली भारतीय सेना की बढ़त को तभी रोक सकता है, जब वह उस पर अपने परमाणु क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल करेगा।

लेकिन अपनी ही धरती पर अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करके पाकिस्तानी सेना अपने मानसिक दिवालिएपन का परिचय देगी। इससे यह भी पता लगेगा कि रावलपिण्डी के जनरल ख़ुद ही अपने मुल्क को परमाणु हथियारों का बन्धक बनाना चाहते हैं। तब वह कहावत पूरी तरह से सच हो जाएगी कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जिसने ख़ुद अपने सिर पर मौत की तलवार लटका रखी है।

पाकिस्तान के विपरीत भारत ने यह ऐलान कर रखा है कि वह कभी ख़ुद पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा। इससे भारत की परमाणु रणनीति साफ़ हो जाती है। वह यह है कि  यदि भारत पर एक भी परमाणु हमला किया जाएगा तो भारत पाकिस्तान पर इतने एटम बम  गिरा देगा कि पाकिस्तान का नामोनिशान भी बाक़ी नहीं बचेगा। इससे भारत को भी भारी नुक़सान होगा। लेकिन भारत भौगोलिक रूप से पाकिस्तान से सात गुना ज़्यादा बड़ा है, और वह अपनी जान बचाने के लिए पीछे की तरफ़ सरक सकता है। 

इसलिए पाकिस्तान को अपनी जेब में छुपे इन परमाणु बमों और मिसाइलों का इस्तेमाल करने से पहले हज़ार बार यह सोचना होगा कि वह अपने बाबर और नस्र मिसाइलों का इस्तेमाल करे या न करे।

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क्या भारत तैयार है?

हाल के वर्षों में भारतीय सेना ने व्यापक सैन्याभ्यास करके अपनी रणनीति में काफ़ी सुधार किए है, लेकिन उसने ’कोल्ड स्टार्ट’ की अपनी सैन्य अवधारणा पर काम अभी भी आगे जारी रखा हुआ है। 

विपिन नारंग और ’कोल्ड स्टार्ट’ पर लम्बे समय से नज़र रख रहे वाल्टर सी० लडविग के अनुसार, अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि भारत ने इस अवधारणा पर अमल करना शुरू कर दिया है या भारत में इस अवधारणा को लागू करने की क्षमता है।

2012 में भूतपूर्व सेना प्रमुख वी० के० सिंह ने तब यह कहकर हंगामा मचा दिया था कि सेना के पास मात्र इतनी ताक़त है कि वह सिर्फ चार दिनों तक ही लड़ाई कर सकती है। उन्होंने कहा था कि भारत के ज़्यादातर हथियार पुराने पड़ चुके हैं। तब उनके ये आरोप शीधे-सीधे तत्कालीन रक्षामन्त्री ए०के० एण्टनी को सम्बोधित थे, जिन्होंने भारत की कई रक्षा परियोजनाओं को स्थगित कर दिया था।

नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण का व्यापक अभियान चलाया है और सेना को आधुनिकतम हथियारों से लैस करने के लिए तथा देश में ही अधुनातन हथियारों का उत्पादन करने के लिए बहुत-सी परियोजनाएँ शुरू की हैं ताकि भारतीय सेना कभी भी किसी भी युद्ध में विजयी रहे। ’कोल्ड स्टार्ट’ अवधारणा को लागू करने के लिए उच्च स्तर पर अभियान चलाया गया है और सेना ने इसके लिए भारी तैयारी दिखाकर अपनी क्षमता का परिचय दिया है। सही प्रशिक्षण, नेतृत्व और उचित उपकरणों व हथियारों के साथ भारतीय सेना किसी भी प्रकार के सैन्य अभियान के लिए तैयार हो जाएगी।

न्यूज़ीलैण्ड में रहने वाले राकेश कृष्णन सिंह पत्रकार व विदेशी मामलों के विश्लेषक हैं।

इस लेख में व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं।

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