रूस और भारत के वाणिज्य मन्त्रियों ने आपसी क्षेत्रीय व्यापार बढ़ाने पर ज़ोर दिया
रूस और भारत के वाणिज्य मन्त्रियों ने ज़ोर दिया है कि दो देशों के बीच व्यापार को 30 अरब डॉलर तक पहुँचाने के दो देशों के नेताओं द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक पहुँचने के लिए सिर्फ़ उच्च स्तरीय सरकारी सौदों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि रूस और भारत के विभिन्न प्रदेशों के बीच छोटे और मंझोले कारोबार को भी विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए।
चेन्नई में हुए छठे अन्तरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग सोर्सिंग (उद्गम) शो के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए दो देशों के वाणिज्य मन्त्रियों ने रूस और भारत के बीच आपसी सहयोग के भविष्य पर विचारों का आदान-प्रदान किया और उन क़दमों के बारे में बताया, जो दो देशों की सरकारें आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उठा रही हैं। इस व्यापार प्रदर्शनी में इस साल रूस सहयोगी देश के रूप में भाग ले रहा है और रूस के विभिन्न प्रदेशों की क़रीब 40 कम्पनियाँ अपनी तकनीकों और अधुनातन मशीनों व उपकरणों का प्रदर्शन कर रही हैं।
भारत रूसी रक्षा तकनीक का पूरी तरह से अपने यहाँ उत्पादन करने में विफल क्यों?
इस व्यापार प्रदर्शनी के अवसर पर आयोजित किए गए भारतीय रूसी व्यापार सम्मेलन में बोलते हुए दिनीस मन्तूरफ़ ने दो देशों के बीच आपसी सहयोग के अन्तर्गत उन उपलब्धियों का ज़िक्र किया जो हाल ही के वर्षों में सामने आई हैं। ये उपलब्धियाँ सिर्फ़ ऊर्जा और रक्षा सहयोग के क्षेत्र में ही नहीं मिली हैं, बल्कि अधुनातन तकनीकों की खोज और मशीन निर्माण आदि क्षेत्रों में काम कर रही प्रतिभाओं को दिए जाने वाले समर्थन के फलस्वरूप उभर कर आई है।
मन्तूरफ़ ने कहा — उदाहरण के लिए आन्ध्र प्रदेश और रूसी संगठन ’मोर-इन्फ़ोर्म-सिस्तेमा-अगात’ के बीच नौवहन पर निगरानी के लिए एकीकृत प्रणाली बनाने से जुड़े सहयोग को लिया जा सकता है। इस काम में भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड और लार्सन एण्ड टुब्रो जैसी बड़ी भारतीय कम्पनियाँ भी सहयोग कर रही हैं। इसी तरह का सहयोग हम नागरिक उड्डयन और रेलवे के क्षेत्र में भी कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भारत और रूस ने अधुनातन सूचना तकनीक के आधार पर शहरों के बुनियादी ढाँचे का विकास करने के लिए एक नया नज़रिया अपनाना शुरू किया हैं। रूस की ’एएफ़के सिस्तेमा’ नामक कम्पनी भारत में स्मार्ट सिटी बनाने के लिए गुजरात, तेलंगाना और कर्नाटक सहित कई भारतीय राज्यों को सहयोग देने के सवाल पर बातचीत कर रही है। रूस की एनआईएस ग्लोनास कम्पनी और दिल्ली मेट्रो रेल निगम सार्वजनिक परिवहन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और यात्रियों को अधिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ’सुरक्षित बस’ परियोजना पर काम कर रहे हैं। इस परियोजना के आधार पर दिल्ली में चलाई जाने वाली नई क़िस्म की बसें दिल्ली की सड़कों पर चलनी शुरू हो गई हैं।
मन्तूरफ़ ने कहा कि सरकारी स्तर पर आपसी व्यापार होता रहेगा, लेकिन दोनों देशों की सरकारें यह भी समझती हैं कि प्रादेशिक स्तर पर दोनों देशों की छोटी और मंझोली कम्पनियों के बीच भी आपसी व्यापार का विकास होना चाहिए। जन परिवहन सेवाओं के क्षेत्र में आधुनिक बुनियादी सुविधाओं का विकास एक ऐसी ही दिशा है, जिसमें दो देशों की प्रादेशिक सरकारें भी आपस में अच्छा सहयोग कर सकती हैं। निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि छठे अन्तरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग सोर्सिंग (उद्गम) शो का आयोजन मुम्बई या दिल्ली की जगह चेन्नई में इसीलिए किया गया है ताकि हमारे दो देशों के बीच आपसी प्रादेशिक सहयोग का विकास हो।
निजी क्षेत्र की भागीदारी से भारत-रूस व्यापार का विकास तेज़ होगा
उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच नया रेलमार्ग शुरू करने का काम, यूरेशियाई आर्थिक संघ व भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए बातचीत और आपसी निवेश समझौते भी इसीलिए किए जा रहे हैं ताकि दो देशों के बीच आपसी व्यापार को बढ़ाने में मदद मिले। महंगी माल-परिवहन सुविधाओं तथा व्यापारिक बाधाओं को दूर किया जा रहा है। दो देशों के बीच बड़ी संख्या में सँयुक्त परियोजनाएँ बनाकर उन्हें लागू किया जा रहा है और उनके लिए पूंजी निवेश जुटाया जा रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित ’सहमति समझौतों’ पर वास्तव में किए गए अमल से जुड़े सवाल का उत्तर देते हुए दिनीस मन्तूरफ़ और निर्मला सीतारमण ने ऊर्जा के क्षेत्र में नवीनतम अनुबन्धों का ज़िक्र किया। इसके अलावा उन्होंने बताया कि अब भारत में केए 226 नामक रूसी हैलीकाप्टरों का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए दोनों देश मिलकर एक सँयुक्त कम्पनी बनाएँगे। मन्तूरफ़ ने कहा कि इस कम्पनी के गठन के सिलसिले में चल रही बातचीत हाल ही में पूरी हो गई है। इस कम्पनी की मूल पूंजी 1 अरब डालर होगी। रूस और भारत मिलकर यह निवेश करेंगे। यह कम्पनी भी आपसी व्यापार और आपसी निवेश को बढ़ाने के लिए दो देशों की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण बन जाएगी।
सन ग्रुप नामक भारतीय कम्पनी के उपाध्यक्ष शिव खेमका ने कहा — रूस और भारत दोनों के ही पास मानव संसाधन के रूप में एक विशाल क्षमता है। इसलिए इंजीनियरिंग की दिशा में आपसी सहयोग की ओर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है। रूस के पास किसी भी समस्या का समाधान खोजने वाले और नई से नई तकनीकों का आविष्कार करने वाले उर्वर दिमागों की कमी नहीं है। लेकिन रूस को इन आविष्कारों को सजा-धजाकर बाज़ार में पेश करना और बेचना नहीं आता। रूसी लोग अपने तकनीकों की अच्छी तरह से मार्केटिंग नहीं कर पाते। जबकि यह काम हम भारत के लोग बड़े अच्छे ढंग से कर लेते हैं। इसलिए रूस और भारत को मिलकर दुनिया के बाज़ार में उतरना चाहिए और मिलकर व्यापार करना चाहिए।
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