पूतिन ने रूसी फ़ौजियों की संख्या बढ़ाकर 19 लाख क्यों कर दी
आगामी 1 जुलाई से रूसी सेना में सैनिकों की संख्या बढ़कर 19 लाख हो जाएगी। रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस तरह जुलाई 2016 के बाद रूसी सेना में कुल 19 हज़ार कर्मियों की संख्या बढ़ जाएगी। इनमें 13 हज़ार 698 सक्रिय सैनिक होंगे और 5 हज़ार 357 नागरिक कर्मी। जनवरी 2017 में रूसी सेना में कुल 18 लाख 97 हज़ार 694 कर्मी थे, जिनमें से 10 लाख 13 हज़ार सक्रिय फ़ौजी थे।
पिछले वर्षों में रक्षा मन्त्रालय के कर्मियों में हुई यह सबसे बड़ी वृद्धि है। फ़रवरी 2015 में समाचारपत्र ’कमेरसान्त’ ने यह सूचना दी थी कि रूस के वित्त मन्त्रालय ने रूस की सभी कानून रक्षा संस्थाओं को यह सलाह दी है कि वे रूस के नए संक्षिप्त बजट के अनुसार या तो अपने खर्चे कम करें या अपने 10 प्रतिशत कर्मचारियों की छँटनी कर दें। तब रूस के सुरक्षा बलों में वास्तव में बड़े स्तर पर छँटनी की गई थी।
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रूस के सैन्य मुख्यालय के मुख्य संचालन निदेशालय के उपप्रमुख लैफ़्टिनेण्ट जनरल वलेरी ज़पारेन्का ने ’गजेता डॉट रू’ से बात करते हुए कहा कि रूसी सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी इसलिए की गई है ताकि सूचना-तकनीक दस्ते की तरह के नए सैन्य-दस्तों में नई नियुक्तियाँ की जा सकें।
रूसी सेना के पूर्व आयुध प्रमुख कर्नल-जनरल अनतोली सीतनफ़ के अनुसार, जब रूस के सामने कोई ख़तरा पैदा होगा, तब हो सकता है रूस अपनी सेना के उन सामरिक दस्तों में बढ़ोतरी न कर पाए, इस बात का ख़याल रखते हुए ही आज शान्तिकाल में सैन्य दस्तों में नई नियुक्तियाँ की जा रही हैं और उन्हें नई तकनीक व नए उपकरणों से लैस किया जा रहा है ताकि वे तुरन्त युद्ध-अभियानों पर जाने के लिए तैयार हों।
अनतोली सीतनफ़ ने कहा — आज के हालात में सभी तरह की गुप्तचरी और टोही कार्रवाइयों की ओर ध्यान देना तथा उनका विकास और आधुनिकीकरण करना ज़रूरी है। इनमें अन्तरिक्ष से गुप्तचरी से लेकर ख़ुफ़िया एजेण्टों की नियुक्ति तक सभी तरह की गुप्तचरी के काम आते हैं।
रूसी नौसैनिक मुख्यालय के पूर्व प्रमुख वीक्तर क्राव्चेन्का ने कहा — खेद की बात है कि हम सेना में सैनिकों की संख्या उतनी नहीं बढ़ा सकते हैं, जितने फ़ौजियों की आज की सैन्य-रणनीतिक स्थिति को देखते हुए ज़रूरत है। रूस जैसे विशाल देश की सुरक्षा करने के लिए दस लाख सक्रिय सैनिक बहुत कम हैं।
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रूसी सैन्य मुख्यालय के प्रमुख संचालन निदेशालय के पूर्व प्रमुख जनरल गिन्नादी मकारफ़ ने कहा — रूसी सेना में यदि आज दस लाख के क़रीब ऐसे सैनिक हैं, जिनका काम सचमुच लड़ना ही हैं। तो उनमें से साढ़े आठ लाख के क़रीब सक्रिय सैनिक और युवा अफ़सर हैं।
उन्होंने कहा — अब सेना में साढ़े 13 हज़ार नए सैनिकों की भरती कोई बहुत बड़ी संख्या नहीं है। रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। और भौगोलिक दृष्टि से देखें तो यह संख्या बहुत कम है।
जनरल गिन्नादी मकारफ़ के अनुसार, नई भरती इसलिए की गई है क्योंकि कुरील द्वीप समूह पर नई मोर्टार इन्फ़ैण्ट्री डिवीजन बनाई गई है।
रूस के पूर्व थलसेना प्रमुख अलिक्सेय मासलफ़ ने कहा — रूस की पश्चिमी सीमाओं पर और कुरील द्वीप समूह पर थल सेना के दस्तों की तैनाती के लिए सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी करना ज़रूरी था। लेकिन मेरा ख़याल है कि राष्ट्रपति ने यह फ़ैसला सिर्फ़ थलसेना को ही ध्यान में रखकर नहीं लिया है। सेना के अन्य अंगों की तरफ़ भी ध्यान देने की उतनी ही ज़रूरत है।
रूस के रक्षा मन्त्रालय के केन्द्रीय संचालन विभाग के कुछ कर्मियों और सैन्य अधिकारियों ने भी यह अनुमान व्यक्त किया कि सीरिया में रूसी नौसैनिक दस्ते तैनात किए जाने और वहाँ रूस का स्थाई सैनिक अड्डा बनाए जाने के फ़ैसले को ध्यान में रखकर सेना में कर्मियों की संख्या बढ़ाने का फ़ैसला किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रूसी सेना को सुदृढ़ बनाने और उसे सुगठित करने का एक और प्रयास है।
2015 में दुनिया की प्रमुख सेनाओं में सक्रिय सैनिकों की संख्या
चीन (23 लाख 35 हज़ार) अमरीका (14 लाख) भारत (13 लाख 25 हज़ार) रूस (7 लाख 66 हज़ार 325) उत्तरी कोरिया (7 लाख)
रूस में भी युवकों के लिए अनिवार्य सैनिक सेवा