रूस नए तेल भण्डारों की तलाश में?
रूस के एर्गिन्स्क और हान्ति-मन्सीस्क स्वायत्त प्रदेशों में बने दो आख़िरी बड़े तेल-भण्डारों की नीलामी की जा रही है। आगामी 7 जुलाई को इसकी घोषणा कर दी जाएगी कि ये तेल-भण्डार किस कम्पनी ने ख़रीदे हैं। इन तेल भण्डारों का शुरूआती दाम क़रीब साढ़े सात अरब रुपए रखा गया है।
इन तेल भण्डारों में 6 करोड़ 49 लाख 71 टन तेल खोजा गया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि इनमें कम से कम 30 करोड़ 71 लाख 95 हज़ार टन तेल होगा। इस तेल-भण्डार को पाने की इच्छा रखने वाली कम्पनियाँ कम नहीं हैं। इनमें रोसनेफ़्त और गाज़प्रोम नेफ़्त से लेकर सुरगूतनेफ़्त और नोवातेक जैसी स्वतन्त्र व्यावसायिक कम्पनियों तक हर तरह की कम्पनियाँ शामिल हैं। इन तेल-भण्डारों की नीलामी के साथ यह प्रमुख शर्त भी जुड़ी हुई है कि इनसे निकलने वाले तेल का शोधन सिर्फ़ रूसी तेलशोधन कारख़ानों में ही किया जाएगा।
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रूस में अब तक सुरक्षित परम्परागत तेल भण्डारों में से ये आख़िरी बड़े तेल भण्डार हैं? इसके बाद क्या होगा?
हाल ही में रूस के सबसे बड़े बैंक ’स्बेरबांक’ (बचतबैंक) के प्रमुख गेरमन ग्रेफ़ ने कहा था कि हमारा तेल हमारे लिए 2028 से 2032 तक ही पूरा पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि 10-20 साल में रूस के सारे तेल भण्डार पूरी तरह से छीज जाएँगे। लेकिन तेलकर्मी और विशेषज्ञ इन भविष्यवाणियों से सहमत नहीं हैं।
अभी मार्च के महीने में ही रूस के ऊर्जा मन्त्री अलिक्सान्दर नोवक ने कहा था कि रूस के वैज्ञानिकों ने जो तेल भण्डार अब तक खोज निकाले हैं, वे 50 साल से ज़्यादा समय तक चलेंगे। इन तेल भण्डारों से निकलने वाले तेल की लागत 10-15 डॉलर प्रति बैरल होगी। इसके अलावा रूस के उत्तरी ध्रुवीय इलाके में समुद्री तटवर्ती क्षेत्रों में भी तेल और गैस के बड़े-बड़े भण्डार हैं।
रूस के प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण मन्त्री सिर्गेय दनस्कोय ने हाल ही में समाचार समिति तास को इण्टरव्यू देते हुए कहा — मुझे इस तरह की ’भयानक’ ख़बरें पढ़कर बेहद आश्चर्य होता है कि रूस में तेल भण्डार जल्दी ही चुक जाएँगे और उसके बाद रूस की ’सारी हवा’ निकल जाएगी। हमारे भूगर्भ वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए तेल-भण्डार कम से कम अभी 30 साल तो चलेंगे ही। अगर भूगर्भ वैज्ञानिक नई तकनीकों से यह खोज आगे जारी रखेंगे तो हम आगे नए भण्डार भी खोज निकालेंगे। हम इसके लिए भारी निवेश कर रहे हैं। इसलिए मुझे विश्वास है कि 30 साल में तो हम उतने तेल भण्डार और खोज निकालेंगे कि आगे आने वाले अन्य 30 सालों तक हमें तेल मिलता रहे।
पश्चिमी साइबेरिया के कुछ तेल भण्डार वास्तव में ख़ाली होने के कगार पर पहुँच गए हैं। लेकिन रूस में अभी भी लाखों बैरल तेल वाले कई ऐसे तेल भण्डार हैं, जिन्हें अभी तक हमने अपनी घोषित राष्ट्रीय सम्पदा में शामिल नहीं किया है। पश्चिमी साइबेरियाई समुद्री तट पर स्थित तेल भण्डारों में 3 अरब 60 करोड़ बैरल तेल है और बेरेन्त्स सागर में स्थित तेल भण्डारों में 7 अरब 40 करोड़ बैरल तेल है।
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लेकिन अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय कम्पनी ’अल्पारी’ के विश्लेषक रमान त्काचुक ने बताया — इन इलाकों में तेल की निकासी से लेकर तेल की ढुलाई तक का सारा बुनियादी ढाँचा नए सिरे से बनाना होगा क्योंकि वहाँ पर इस तरह की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस काम के लिए भारी पूंजी निवेश की ज़रूरत है। आज जब दुनिया के बाज़ारों में तेल की क़ीमतें बहुत कम चल रही हैं, इस तरह का पूंजी निवेश पाना बहुत मुश्किल है। इसके अलावा हमें ऐसे विदेशी सहयोगियों की भी ज़रूरत होगी, जो हमें इस तेल के ख़रीददारों की तलाश करने की गारण्टी दे सकें।
रूस के राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा कोष के महानिदेशक कंस्तान्तिन सीमानफ़ ने कहा — अमरीका में आजकल स्लेट पत्थर से तेल निकाला जा रहा है। इस तरह अमरीका ने यह दिखा दिया है कि तेल पाने के अपरम्परागत स्रोत भी हो सकते हैं। इस नए तेल ने तेल के नए भण्डारों को सुरक्षित बनाए रखने का मौक़ा भी दिया है। स्लेट पत्थर से तेल निकालने के अलावा तारकोल की रेत से और अन्य तरीकों से भी तेल निकालने की कोशिश की जा रही है।
कंस्तान्तिन सीमानफ़ ने कहा — निश्चय ही इस नए तेल की लागत परम्परागत तेल से कहीं ज़्यादा होगी। लेकिन परम्परागत तेल के भण्डारों को तो खोजना भी पड़ेगा। समुद्र के तटवर्ती इलाकों में भण्डारों की खोज करने के तरीके अभी बहुत सीमित हैं। परन्तु नए तेल ने यह संभावना तो दे ही दी है कि दुनिया आगे तेलरहित नहीं होगी। एक बात तो यह है कि आपके पास महंगा तेल पाने का स्रोत है और दूसरी बात यह कि आपके पास तेल पाने का कोई रास्ता ही नहीं है। जैसे जापान में तेल के भण्डार नहीं हैं और रूस के पास काफ़ी तेल है। अमरीका के पास भी स्लेट पत्थर से निकाला जा सकने वाला तेल है। कनाडा में भी तारकोल (अलकतरा या डाबर) की रेत से तेल निकाला जा रहा है।
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