2025 तक रूसी सेना को मिलने वाले नए हथियार
सन् 2020 में रूस में 220 खरब रूबल (या 240 खरब रुपए) खर्च करके रूसी सेना को नए हथियारों से लैस करने की परियोजना पूरी हो जाएगी। इस परियोजना के पूरा होने के बाद रूसी सेना 70 प्रतिशत आधुनिकतम और नवीनतम हथियारों से लैस हो चुकी होगी।
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इसके बाद रूसी सेना को नए हथियारों से लैस करने की दूसरी परियोजना शुरू हो जाएगी, जिसे आने वाले महीनों में बनाकर तैयार कर लिया जाएगा। रूसी रणनीतिक और तकनीकी विश्लेषण केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार, नई परियोजना में परमाणु हमलों को रोकने से जुड़े संसाधनों और सटीक मार करने वाले उच्च क़िस्म के हथियारों की ख़रीद पर ज़ोर दिया जाएगा। अगले सात सालों में यह काम पूरा करने के लिए रक्षा मन्त्रालय ने 300 खरब रूबल (या 340 खरब रुपए) की माँग की है, लेकिन विश्लेषकों को इस बात में सन्देह है कि रूस की सरकार आर्थिक मन्दी के इस दौर में रक्षा मन्त्रालय को बजट में से इतनी बड़ी रक़म उपलब्ध करा पाएगी।
वायुसेना को क्या मिलेगा
’हथियारों का निर्यात’ नामक पत्रिका के प्रमुख सम्पादक अन्द्रेय फ़्रलोफ़ का कहना है कि पुरानी परियोजना में से सरकार कुछ हथियारों को नई परियोजना में शामिल कर सकती है। इनमें सबसे पहले पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान टी-50 का नाम आता है।
सरकार छोटी-छोटी खेपों में इन विमानों को ख़रीदेगी। सरकार के पास अभी इतना धन नहीं है कि वह सीधे 50 विमान ख़रीद सके, जैसाकि आर्थिक संकट शुरू होने से पहले योजना बनाई गई थी। टी-50 के अलावा वायुसेना को एसयू-34 और एसयू-30एसएम लड़ाकू विमानों से भी लैस किया जाएगा।
इनके अलावा वायुसैनिक अड्डों पर बमवर्षक विमान टीयू-160एम2 और 30 उन्नत सुदूर बमवर्षक विमान टीयू-22एम3 और टीयू-22एम3एम भी तैनात किए जाएँगे।
इसके अलावा रक्षा मन्त्रालय नई पीढ़ी के सुदूर रणनीतिक बमवर्षक विमान का निर्माण भी करना चाहता है, जो शायद अगले दशक के अन्त में ही बनकर तैयार हो पाएगा।
टैंक सेना को क्या मिलेगा
विशेषज्ञों का कहना है कि थलसेना के लिए व्यापक आधार वाले प्लेटफ़ार्म पर बनाए जाने वाले ’अरमाता’ टैंकों की ख़रीद की जाएगी। नई पीढ़ी के टी-14 नामक कितने टैंक ख़रीदे जाएँगे, यह अभी तक तय नहीं किया गया है।
टी-14 टैंक की प्रारम्भिक क़ीमत 25 करोड़ रूबल (साढ़े 28 करोड़ रुपए) रखी गई है। इस टैंक के प्रमुख मॉडल पर 125 मिलीमीटर की तोप लगी होगी। लेकिन हथियार डिजाइनरों का कहना है कि इस टैंक के सबसे लड़ाकू मॉडल पर 152 मिलीमीटर की तोप भी लगाई जा सकती है।
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टी-14 टैंक एक मिनट में दस गोले छोड़ सकता है, जो सात किलोमीटर की दूरी तक सटीक मार कर सकते हैं। जबकि अमरीका का सबसे तेज़ वार करने वाला टैंक ’अब्र्हाम्स’ भी एक मिनट में बस तीन ही गोले छोड़ पाता है और वे गोले 4 किलोमीटर 600 मीटर की दूरी तक ही मार कर पाते हैं।
मिसाइल सेना को क्या मिलेगा
रूस की रणनीतिक मिसाइल सेना को नए हथियारों से लैस करने की पहली परियोजना के तहत नए अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ’सरमात’ मिलेंगे। ’जन्मभूमि के शस्त्रागार’ नामक रूसी पत्रिका के प्रमुख सम्पादक वीक्तर मुरख़ोवस्की के अनुसार, अगले दशक के शुरू में रूसी मिसाइल सेना को नए क़िस्म के ये मिसाइल मिलने शुरू हो जाएँगे। माना जा रहा है कि सेना को ऐसे कम से कम 46 मिसाइलों से लैस किया जाएगा।
’सरमात’ के अलावा सन् 2020 तक रेलगाड़ियों पर तैनात की जाने वाली मिसाइल प्रणाली ’बरगूझीन’ भी बनकर तैयार हो जाएगी। यह मिसाइल प्रणाली विशेष रेलगाड़ियों पर तैनात की जाएगी तथा इसमें छह अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ’यार्स’ शामिल होंगे।
रूसी नौसेना को क्या नहीं मिल पाएगा
आर्थिक मन्दी का बुरा असर सबसे पहले रूसी नौसेना पड़ेगा और रूसी नौसेना को योजनानुसार मिलने वाले नए युद्धपोतों और नई पनडुब्बियों से वंचित होना पड़ेगा। समाचारपत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य समीक्षक दिमित्री लितोफ़किन के अनुसार, आज रूसी सेना को सिर्फ़ उन्हीं हथियारों से लैस करने पर ज़ोर दिया जा रहा है, जिनकी सेना को बेहद ज़रूरत है, इसलिए नए युद्धपोतों का निर्माण शुरू नहीं किया जाएगा।
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उन्होंने बताया — ऐसा लगता है कि हमें परियोजना 23560 के नए विध्वंसक युद्धपोत से इनकार करना पड़ेगा और अपने उस नए विमानवाहक युद्धपोत ’श्तोर्म’ (तूफ़ान) के निर्माण को चौथे दशक के लिए टालना पड़ेगा, जिसपर पाँचवीं पीढ़ी के विमान सहित 90 लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं।
दिमित्री लितोफ़किन ने कहा — लेकिन इस बीच रूसी नौसेना को पहले से बनाई जा रहीं परियोजना 955 की ’बरेय’ पनडुब्बियाँ और दूसरे युद्धपोत मिलेंगे।
हाइपरसोनिक हथियार
रूस के रक्षा मन्त्रालय ने परोक्ष रूप से हाइपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण की अपनी परियोजना की पुष्टि कर दी है, जो आने वाले सालों में रूसी सेना को मिलने शुरू हो जाएँगे।
रूस के रक्षा मन्त्रालय की वेबसाइट पर बताया गया है कि 2018 से 2025 तक लागू की जाने वाली रूसी सेना को हथियारबन्द करने की परियोजना के अनुसार, सैद्धान्तिक रूप से नई क़िस्म के हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्मार्ट रोबोटों के निर्माण का काम पूरा कर लिया जाएगा और उनकी आपूर्ति सेना को शुरू कर दी जाएगी। इसके अलावा रूसी सेना को नई पीढ़ी के परम्परागत सैन्य उपकरणों और विशेष सैन्य तकनीक से भी लैस किया जाएगा।
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नए पोतनाशक मिसाइल ’त्सिरकोन’ का परीक्षण पूरा कर लिया गया है। इस परीक्षण के दौरान इस मिसाइल ने 9 हज़ार किलोमीटर प्रतिघण्टे की रफ़्तार पकड़ ली थी। लेकिन इसके अलावा इस नए ’त्सिरकोन’ मिसाइल के बारे में अभी तक न तो रूसी रक्षा मन्त्रालय ने और न ही तास समाचार समिति ने कोई विवरण जारी किया है। रूसी मीडिया में इस मिसाइल के सफल परीक्षण की सूचना पाकर जो हड़कम्प पैदा हुआ है, अभी तक किसी अधिकारी ने उसकी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस सूचना की पुष्टि हो जाती है तो यह ऐसा पहला मिसाइल होगा, जो हाइपरसोनिक गति से उड़ने में सफल रहा है। जैसाकि दिमित्री लितोफ़किन ने कहा — हाइपरसोनिक तकनीक के निर्माण को लेकर रूस और अमरीका के बीच गुप्त रूप से सैन्य होड़ चल रही है।
उन्होंने कहा — इन दोनों देशों में से जो भी देश आवाज़ की गति से आठ-दस गुना ज़्यादा तेज़ गति से उड़ने वाले मिसाइल पहले बना लेगा, उसके मिसाइल ऐसे होंगे, जिन्हें आधुनिकतम राडार भी पकड़ने में नाकामयाब रहेंगे। इस तरह के राडार अभी तक नहीं बनाए गए हैं और इस बात की भी कोई सम्भावना नहीं है कि भविष्य में इतनी तेज़ गति से उड़ने वाले मिसाइलों की पहचान करने वाले राडार सामने आ जाएँगे।
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