रूस और चीन कोरिया में अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था का प्रतिरोध कैसे करेंगे
विगत 12 जनवरी को रूस और चीन के उप-विदेशमन्त्रियों के बीच इस सवाल पर सहमति हो गई कि उत्तर-पूर्वी एशिया में सामरिक शक्ति-सन्तुलन को बरकरार रखा जाए और अमरीका द्वारा दक्षिणी कोरिया में स्थापित की गई अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था ’थाड’ का मिलकर सामना किया जाए। यह जानकारी रूसी समाचार समिति ’इन्तेरफ़ाक्स’ ने दी है।
रूस और चीन के रक्षा मन्त्रालयों का मानना है कि अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था (अमिरव) और यूरोप में तैनात किए गए उसके अंशों की कार्यक्षमता वास्तविक ज़रूरतों से बहुत ज़्यादा है।
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जैसाकि रूसी सैन्य संचालन मुख्यालय के उपप्रमुख वीक्तर पज़नीख़ीर ने कहा — उत्तरी कोरिया ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल के निर्माण की बस, अभी शुरूआत ही की है और ईरान, जिसके ख़िलाफ़ ही अमरीका यूरोप में अपनी अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था (अमिरव) की स्थापना की बात कह रहा है, ईरानी परमाणविक कार्यक्रम के विकास के बारे में हुए समझौते के बाद किसी तरह का कोई ख़तरा पैदा कर ही नहीं सकता है।
वीक्तर पज़नीख़ीर ने कहा — उत्तरी कोरिया और ईरान की तरफ़ से ’मिसाइली ख़तरे’ का बहाना बनाते हुए इस ख़तरे को रोकने के लिए ही सबसे पहले अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था (अमिरव) की स्थापना की जा रही है। जबकि ऐसी बात नहीं है। वास्तव में यह अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था (अमिरव) रूसी और चीनी मिसाइलों के ख़िलाफ़ स्थापित की जा रही है।
कोरिया में तैनात ’अमिरव’ में कौन-कौन से हथियार शामिल हैं
रूस के हायर स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स के एशिया अध्ययन विभाग के प्रमुख अलिक्सेय मास्लफ़ ने रूस-भारत संवाद को बताया — पड़ोसी देश उत्तरी कोरिया से दक्षिणी कोरिया की सुरक्षा करने के लिए तीन साल पहले यह फ़ैसला किया गया कि वहाँ भी अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था (अमिरव) तैनात कर दी जाए। बात ऐसी मिसाइलरोधी प्रणाली के निर्माण की हो रही है, जो दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइलों को उसी क्षण नष्ट कर देंगे, जब उन्हें, बस, छोड़ा ही जाएगा यानी इन मिसाइलों के छूटते ही उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा।
अलिक्सेय मास्लफ़ ने कहा — अमरीकी कम्पनी लॉकहीड मार्टिन ने ’थाड’ मिसाइल सुरक्षा प्रणाली का निर्माण किया है। यह प्रणाली कम दूरी तक मार करने वाले यानी 500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाले मिसाइलों को नष्ट कर सकती है।
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अलिक्सेय मास्लफ़ ने कहा — यह ’थाड’ प्रणाली उत्तरी कोरिया की सीमाओं के एकदम निकट तैनात की जाएगी। इस प्रणाली के कुछ हिस्से दक्षिणी कोरिया के भीतर बहुत दूर भी स्थापित किए जाएँगे। इस तरह ’थाड’ प्रणाली की कई सुरक्षा-पंक्तियाँ बना दी जाएँगी।
उन्होंने कहा — इस ’थाड’ नामक अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था (अमिरव) के राडार इतने ज़्यादा शक्तिशाली हैं कि वे अपने चारों और 1 हज़ार किलोमीटर के इलाके पर नज़र रख सकते हैं। इस तरह ये राडार चीन और रूस के कुछ इलाकों पर भी नज़र रखेंगे।
इसके साथ-साथ ’थाड’ अमरीकी मिसाइल रक्षा व्यवस्था में अमरीकी हवामार मिसाइल प्रणाली पैट्रियट और अएजिस अशोर प्रणाली को भी शामिल कर लिया जाएगा, जिसमें एमके-41 प्रक्षेपण तोपें और एसएम-3 मिसाइलरोधी मिसाइल शामिल हैं।
अलिक्सेय मास्लफ़ ने रूस-भारत संवाद को बताया — ये मिसाइल इतने शक्तिशाली हैं कि पृथ्वी की परिधि पर उड़ रहे उपग्रहों को भी नष्ट कर सकते हैं।
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रूस और चीन को किस बात का डर है
रूसी समाचारपत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य विशेषज्ञ दिमित्री सफ़ोनफ़ ने रूस-भारत संवाद को बताया — रूस और चीन इस बात को लेकर नाख़ुश हैं कि उत्तरी कोरियाई समस्या का मिलकर समाधान करने की जगह अमरीका ऐसी मिसाइल रक्षा व्यवस्था की स्थापना कर रहा है, जो इन दोनों देशों की गतिविधियों पर भी नज़र रखेगी।
उन्होंने कहा — एमके-41 मिसाइल प्रक्षेपण तोपों से न केवल एसएम-3 जैसे मिसाइल छोड़े जा सकते हैं, बल्कि ढाई हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाले टोमाहॉक मिसाइल भी छोड़े जा सकते हैं। अगर इन तोपों का इस्तेमाल टोमोहॉक मिसाइलों को छोड़ने के लिए किया जाएगा तो यह मिसाइल सुरक्षा व्यवस्था कभी भी मिसाइल हमलावर व्यवस्था में बदल जाएगी।
रूस और चीन क्या करेंगे
रूस के हायर स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स के एशिया अध्ययन विभाग के प्रमुख अलिक्सेय मास्लफ़ और रूसी समाचारपत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य विशेषज्ञ दिमित्री सफ़ोनफ़ — इन दोनों ही विशेषज्ञों का यह कहना है कि अमरीका ख़ुद रूस और चीन को सँयुक्त रूप से मिसाइल प्रतिरोधी सुरक्षा व्यवस्था का निर्माण करने के लिए बाध्य कर रहा है।
दिमित्री सफ़ोनफ़ ने कहा — हमने चीन के साथ इस सिलसिले में कुछ वार्ताएँ की हैं और अब दोनों देश इस दिशा में सँयुक्त रूप से कार्रवाइयाँ करने की अवधारणा बना रहे हैं। इसके साथ-साथ इस प्रतिरोधी सुरक्षा व्यवस्था में शामिल दोनों देशों के सैनिक मिलकर कुछ सैन्य-अभ्यास भी करेंगे। इस दिशा में काम इस तरह से करना होगा कि सब कुछ स्वचालित ढंग से हो।
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लेकिन सभी विश्लेषक ऐसा नहीं मानते कि दक्षिणी कोरिया में ’अमिरव’ की तैनाती का विरोध करते हुए रूस कोई आक्रामक नीति अपनाएगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि रूस सुदूर-पूर्व के अपने इलाके में कोई नए अतिरिक्त हथियार तैनात नहीं करेगा। वह अमरीकी ’थाड’ सुरक्षा मिसाइल प्रणाली के हिस्सों को निशाना बनाकर भी अपने मिसाइल तैनात नहीं करेगा और किसी भी रूप में दक्षिणी कोरिया के साथ अपने रिश्तों को तनावपूर्ण नहीं बनाएगा।
रूसी पत्रिका ’अर्सेनाल अतिचेस्त्वा’ (जन्मभूमि का शस्त्रागार) के प्रमुख सम्पादक वीक्तर मुराख़ोवस्की ने रूस-भारत संवाद से बात करते हुए कहा — दक्षिणी कोरिया में तैनात की जा रही ’थाड’ मिसाइल रक्षा प्रणाली कोई सामरिक रक्षा प्रणाली नहीं है, वह तो तुरन्त प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाली रणनीतिक प्रणाली है। ’थाड’ से रूस के लिए सीधे कोई ख़तरा पैदा नहीं हो रहा है। रूसी हमलावर हथियार हालाँकि इस प्रणाली से बहुत दूरी पर तैनात हैं, लेकिन वे ’थाड’ से कहीं अधिक कारगर और मारक हैं। ’थाड’ प्रणाली मुख्य रूप से चीन के लिए चिन्ता का विषय बन गई है क्योंकि उसके पास रणनीतिक परमाणविक मिसाइल न केवल बेहद सीमित संख्या में हैं बल्कि उनकी हमलावर क्षमता भी बहुत कम है।
उन्होंने कहा — चीन के नेता इस समस्या पर अमरीका के साथ सीधी बातचीत और सौदेबाज़ी करेंगे। और रूस के साथ मिलकर किसी मिसाइल रोधी अवधारणा का विकास चीन एक अतिरिक्त क़दम के रूप में करेगा।
वीक्तर मुराख़ोवस्की ने रूस-भारत संवाद से बात करते हुए कहा — उत्तरी कोरिया के सिलसिले में रूस सैन्य तरीकों से नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से काम करेगा। हम यह कोशिश करेंगे कि उत्तरी कोरिया के परमाणविक कार्यक्रम के बारे में वे छह-पक्षीय वार्ताएँ फिर से शुरू हो जाएँ, जिनमें दुनिया की सभी प्रमुख महाशक्तियाँ भाग ले रही थीं।
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