छुट्टी वाले दिन पूतिन क्या करते हैं?
अपने पालतू कूत्तों के साथ खेलते हुए व्लदीमिर पूतिन। स्रोत : Alexei Druzhinin / RIA Novosti
रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन के प्रेस सचिव दिमित्री पिस्कोफ़ ने 2 मार्च को पत्रकारों को बताया कि पूतिन साइबेरिया के जंगलों में घूम रहे हैं। उन्होंने कहा — मस्क्वा (मास्को) के पूर्व में 3352 किलोमीटर दूर स्थित क्रस्नयार्स्क का सरकारी दौरा करने के बाद राष्ट्रपति पूतिन ने काम से दो दिन का अवकाश लेने का फ़ैसला किया और ताइगा के जंगलों में चले गए। पूतिन ने आराम करने के लिए जो जगह चुनी थी, वहाँ से किसी भी निकटतम बस्ती की दूरी 400 किलोमीटर थी। इस घने जंगल में एक दिन और दो रात बिताकर पूतिन 3 मार्च को मस्क्वा लौट आए।
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है, जब पूतिन ने भीड़-भाड़ से दूर एकान्त में अपनी छुट्टी बिताई है। 2014 में भी 7 अक्तूबर को उन्होंने साइबेरिया के एक पहाड़ी इलाके में अपना जन्मदिन मनाया था। उस दिन उन्होंने क़रीब 9 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर पार की थी और बाद में कई दिन तक उनके शरीर में दर्द होता रहा था।
भाग्यशाली मछुआरे हैं
2013 में एक बार पूतिन ने एक विशालकाय पाइक मछली पकड़ी थी। स्रोत : Alexei Nikolskiy/RIA Novosti
पैदल चलने के अलावा पूतिन को मछलियाँ पकड़ने का शौक है। कई बार वे प्रधानमन्त्री दिमित्री मिदवेदफ़ और रक्षामन्त्री सिर्गेय शायगू के साथ मछली पकड़ने जा चुके हैं। 17 अगस्त 2011 का दिन इस दृष्टि से ऐतिहासिक है। उन दिनों (2008 से 2012) पूतिन रूस के प्रधानमन्त्री हुआ करते थे और मिदवेदफ़ रूस के राष्ट्रपति थे। दोनों मछली पकड़ रहे थे और बातें कर रहे थे। उसी बातचीत में इन दोनों ने यह तय कर लिया कि पूतिन अगले चुनाव में फिर से राष्ट्रपति पद के लिए खड़े होंगे और अगर वे राष्ट्रपति बन गए तो मिदवेदफ़ देश के प्रधानमन्त्री बनेंगे।
2013 में एक बार पूतिन ने एक विशालकाय पाइक मछली पकड़ी थी। बाद में उसका वज़न 21 किलोग्राम निकला। उस दिन पूतिन अपनी सफलता पर बेहद ख़ुश थे। यहाँ तक कि उन्होंने उस मछली को चूम लिया था। इस घटना के बाद तो मछली पकड़ने में उन्हें जैसे दुगुना मज़ा आने लगा।
स्केटिंग और स्कीइंग
सोची में रूस के प्रधानमन्त्री दिमित्री मिदवेदफ़ के साथ माउण्टेन स्कीइंग करते हुए व्लदीमिर पूतिन। स्रोत : Dmitry Astakhov/TASS
राष्ट्रपति पूतिन के शौकों के बारे में बताते हुए, नववर्ष की पूर्ववेला में दिमित्री पिस्कोफ़ ने कहा था कि पूतिन को तैरने और बर्फ़-हॉकी खेलने का भी शौक है। दिन भर में काम की व्यस्तता के बीच जब भी उन्हें समय मिलता है, वे तैरने चले जाते हैं। आइस-हॉकी खेलना भी उन्हें पसन्द है। 2011 में उन्होंने एनएचएल (नाईट हॉकी लीग) यानी रात में हॉकी खेलने वाले खिलाड़ियों की एक टीम बनाई है, जिसमें शामिल होकर वे भी कभी-कभी हॉकी खेलते हैं। 2015 में एक बार तो ’एनएचएल के सितारे’ नामक टीम में खेलते हुए एक प्रदर्शन-मैच में उन्होंने सात गोल किए थे।
पूतिन को बर्फ़-हॉकी खेलने का भी शौक है। स्रोत : Aleksey Nikolskiy/RIA Novosti
शौकीन व्लदीमिर पूतिन का एक और शौक है — माउण्टेन स्कीइंग। मौक़ा मिलने पर वे अपने विदेशी मेहमानों के साथ पहाड़ से बर्फ़ पर नीचे फिसलते हैं। आख़िरी बार पूतिन ने अल्माअता की अपनी यात्रा के समय कज़ाख़स्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबाएव के साथ स्कीइंग की थी।
व्लदीमिर पूतिन कितना कमाते हैं?
विश्लेषकों का मानना है कि सक्रिय रूप से आराम करके पूतिन अपने देशवासियों को भी ऐसा ही करने का सन्देश देते हैं। 64 वर्षीय पूतिन बेहद सक्रिय जीवन बिताते हैं और शारीरिक रूप से बेहद ताक़तवर हैं। ’कमेरसान्त एफ़एम’ रेडियो पर बोलते हुए एक राजनीतिक विश्लेषक दिमित्री तुलचीन्स्की ने कहा — इसीलिए रूस की जनता को वे बेहद पसन्द हैं। स्वस्थ और ताक़तवर नेता किसे पसन्द नहीं आएगा।
हवाई द्वीप को भूल जाओ, तिवा को याद रखो
पूतिन अपनी छुट्टियाँ चाहे जिस भी ढंग से बिताते हों, लेकिन वे रूस में ही आराम करना पसन्द करते हैं। स्कीइंग करने के लिए वे मस्क्वा के अंचल में बने स्कीइंग क्लबों में या सोची के पहाड़ों में जाते हैं। और वह विशाल पाइक मछली उन्होंने तिवा प्रदेश में पकड़ी थी, जो मस्क्वा से 3658 किलोमीटर दूर है। तिवा जाना तो आम तौर पर रूसी पर्यटक भी पसन्द नहीं करते, लेकिन पूतिन को तिवा बेहद पसन्द है। 2007 में पूतिन वहाँ अपने साथ मोनाको के राजकुमार अल्बर्ट द्वितीय को ले गए थे। फिर 2009 में वहीं पर पूतिन की वह मशहूर तस्वीर खींची गई थी, जिसमें वे कमर तक नंगे हैं और घोड़े पर सवार हैं।
स्रोत : Dmitry Astakhov/RIA Novosti
पिछली जनवरी में तिवा प्रदेश के प्रमुख शोलबान करा-ओऽल तिवा में ही पूतिन और डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात आयोजित करने के इच्छुक थे। उनका मानना है कि ताइगा के इन प्राचीन वनों की अछूती ज़मीन पर पूतिन और ट्रम्प एक-दूसरे से पूरी ईमानदारी बरतेंगे और खुलकर बात कर पाएँगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूतिन रूस में ही अपनी छुट्टियाँ बिताकर अपने हमवतनों से जैसे यह अपील करते हैं कि उन्हें भी विदेश में छुट्टियाँ बिताने की जगह रूस में ही आराम करना और घूमना-फिरना चाहिए। ’राजनीतिक और आर्थिक संचार एजेंसी’ के महानिदेशक दिमित्री अरलोफ़ ने रूस-भारत संवाद से कहा — पूतिन उन विभिन्न मनोरंजक जगहों को जनता के सामने लाते हैं, जिनसे रूसी लोग और विदेशी पर्यटक परिचित नहीं हैं। वे रूस को पर्य़टन के एक बड़े केन्द्र के रूप में पेश करते हैं।
ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिए सिरदर्द
राष्ट्रपति कहाँ आराम करेंगे, इसका फ़ैसला पूतिन ख़ुद करते हैं। स्रोत : Reuters
विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति कहाँ आराम करेंगे, इसका फ़ैसला पूतिन ख़ुद करते हैं। क्रेमलिन के रणनीतिकार राजनीतिज्ञों का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होता। राजनीतिक सूचना केन्द्र के प्रमुख अलिक्सेय मूख़िन ने कहा — कोई किसी को कहीं भी छुट्टियाँ बिताने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। पूतिन जैसे सक्रिय आदमी को तो मजबूर करना बहुत मुश्किल है।
मूख़िन ने कहा — रोमांचक ढंग से छुट्टियाँ बिताने का पूतिन का शौक उनके सहायकों के लिए बड़ी असुविधाएँ पैदा करता है। पूतिन को इन खेलों और शौकों से रोमांच होता है, लेकिन उनके सुरक्षा अधिकारियों और ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिए उनके ये शौक सिरदर्द बन जाते हैं। आख़िर वे देश के राष्ट्रपति हैं और जब वे ताइगा के जंगलों में भटकते हैं तो उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इन्हीं लोगों को उठानी पड़ती है। लेकिन पूतिन के सहायक सारी परेशानियाँ झेलकर भी उन्हें अपने मन से घूमने-फिरने और आराम करने की पूरी-पूरी आज़ादी देते हैं।
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