उत्तरी कोरियाई मिसाइल रूस और दुनिया के लिए खतरनाक क्यों?
पिछले सप्ताह उत्तरी कोरिया ने अज्ञात क़िस्म के चार मिसाइल छोड़े, जो जापान के समुद्र-तट से 350 किलोमीटर पहले ही समुद्र में गिर गए। ’तास’ समाचार समिति के सैन्य समीक्षक वीक्तर लितोफ़किन का कहना है कि ये मध्यम दूरी तक मार करने वाले ऐसे मिसाइल थे, जो 500 से 1000 किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकते हैं। इन मिसाइलों का निर्माण पिछली सदी के छठे दशक में इस्तेमाल किए जाने वाले पुरानी क़िस्म के रूसी मिसाइल आर-17 के आधार पर किया गया था। नाटो के सदस्य देशों और अमरीका में इस मिसाइल को एसएस-1सी स्कड बी वर्ग का मिसाइल माना जाता है।
वीक्तर लितोफ़किन ने इस क़िस्म के मिसाइल की सफलता में सन्देह व्यक्त करते हुए उसे एक असफल मिसाइल बताया और कहा कि इस मिसाइल के डिजाइनर उसे उसके तयशुदा मार्ग पर उड़ाने में अक्षम रहे हैं।
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वीक्तर लितोफ़किन ने कहा — हालाँकि यह इस मिसाइल का अभी प्रारम्भिक परीक्षण ही था और उत्तरी कोरियाई वैज्ञानिक इस नए मिसाइल की नेवीगेशन प्रणाली पर अभी काम कर रहे हैं। यह परीक्षण करके उन्होंने यह देखा होगा कि कितना ईंधन भरकर उसे कितनी दूरी तक भेजा जा सकेगा।
अन्तरराष्ट्रीय भूराजनैतिक विश्लेषण केन्द्र के अध्यक्ष और रूस के भूतपूर्व कर्नल-जनरल लिआनीद इवाशोफ़ ने रूस-भारत संवाद से बात करते हुए कहा — विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिन्तित हैं कि इन मिसाइलों को एटम बमों से लैस किया जा सकेगा। शायद रूस, अमरीका और चीन को अभी तक यह अनुमान नहीं है कि उत्तरी कोरिया एटम बमों के निर्माण के क्षेत्र में किस स्तर पर आगे बढ़ गया है। अगर इस मिसाइल की तरह ही एटम बम के निर्माण के क्षेत्र में भी उत्तरी कोरिया इसी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तो इससे न केवल दक्षिणी कोरिया के लिए बल्कि इस पूरे इलाके के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।
उन्होंने कहा — अगर उत्तरी कोरिया के वैज्ञानिक पूरी तरह से ऐसा एटम बम न भी बना पाएँ, जिसे किसी मिसाइल पर या किसी विमान पर तैनात किया जा सके, बल्कि सिर्फ़ आधा-अधूरा एटमी विस्फोटक ही बना लें तो भी यह जोख़िम तो पैदा हो ही जाएगा कि उसे मिसाइल में या विमान में तैनात करके छोड़ा जा सकता है और वह उड़ान के किसी भी दौर में फट सकता है।
रूस क्या करेगा
उत्तरी कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपणों के बारे में जल्दी ही रूस, जापान और चीन आपस में बातचीत करेंगे। इस मुलाक़ात पर टिप्पणी करते हुए रूस के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव दिमित्री पिस्कोफ़ ने रूसी समाचारपत्र ’कमेरसान्त’ से कहा —
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उत्तरी कोरिया द्वारा छोड़े गए इन मिसाइलों की वजह से हम वास्तव में बेहद चिन्तित हैं। हम सभी पक्षों से संयम दिखाने की अपील करते हैं। इस समस्या पर बातचीत करने की इच्छा रखने वाले सभी देशों के साथ हम इस सवाल पर बात करने के लिए तैयार हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि रूस इस इलाके में अपने अतिरिक्त सैन्य-दस्ते तैनात नहीं करेगा। इसके बावजूद कि रूस का प्रीमोर्ये का इलाका उत्तरी कोरिया की सीमा पर स्थित हैं, रूस अपनी मिसाइलरोधी प्रतिरक्षा व्यवस्था में भी कोई बदलाव नहीं करेगा।
यूरोपीय और अन्तरराष्ट्रीय समुच्चय अनुसन्धान केन्द्र के विश्व अर्थव्यवस्था और विश्व राजनीति संकाय के प्रमुख विशेषज्ञ वसीली काशिन ने रूस-भारत संवाद से इस सिलसिले में चर्चा करते हुए कहा — हम एकतरफ़ा आक्रामक क़दम नहीं उठाएँगे और सँयुक्त राष्ट्र संघ के अन्तर्गत कूटनीतिक उपाय करेंगे। हम उत्तरी कोरिया को मालों की आपूर्ति पर नए प्रतिबन्ध लगा देंगे और विदेशी बैंकों में उपस्थित उसके खातों पर रोक लगा देंगे। लेकिन शायद ही हमारे ये क़दम कोई ख़ास असर दिखाएंगे।
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