भारत-रूस रिश्तों में परमाणु ऊर्जा सहयोग का विशेष महत्व
बेंगलुरु के वैश्विक अनुसन्धान और विकास सम्मेलन-2017 में बोलते हुए रूस के आर्थिक विकास उपमन्त्री अलेग फ़मिच्योफ़ ने विगत 7 अप्रैल को कहा — परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग ही आज भारत और रूस के आर्थिक रिश्तों में प्रमुख बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर के शुरू होने के बाद भारत में बिजली का उत्पादन 2000 मेगावाट और बढ़ गया है।
अलेग फ़मिच्योफ़ ने कहा — 2014 में रूस और भारत ने परमाणु ऊर्जा के शान्तिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत बनाने के लिए एक रणनीतिक समझौता किया था, जिसके अनुसार, आने वाले समय में भारत में रूसी डिजाइन की 12 बिजली उत्पादन इकाइयों का निर्माण किया जाएगा।
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उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और परमाणु ईंधन के उपयोग के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच बढ़ते जा रहे सहयोग की भी सराहना की। फ़मिच्योफ़ ने कहा — हमारे आपसी सहयोग का सफलतापूर्वक विकास हो रहा है और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-रूस सहयोग के लिए व्यापक अवसर सामने आ रहे हैं।
विगत 5 अप्रैल को रूस के राजकीय परमाणु ऊर्जा निगम रोसएटम ने कुडनकुलम बिजलीघर की पहली इकाई को अन्तिम रूप से भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम को सौंप दिया और इससे जुड़े दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए। इस तरह अब कुडनकुलम बिजलीघर की पहली इकाई पूरी तरह से भारत के प्रबन्धन और संचालन में काम करने लगी है।
रूसी राजकीय परमाणु निगम रोसएटम की सहायक कम्पनी ’एएसई ग्रुप’ ने प्रेस के लिए जारी एक सूचना में कहा कि रूस ने इस पहली इकाई की वारण्टी की सभी शर्तों को पूरा कर दिया है।
’एएसई ग्रुप’ के दक्षिणी एशिया में परियोजनाओं के लिए ज़िम्मेदार उपाध्यक्ष अन्द्रेय लेबिदिफ़ ने कहा — वारण्टी के समय में पहली इकाई विश्वसनीय और सुरक्षित ढंग से काम करती रही। भारत ने इस बात की पुष्टि की है कि इकाई पूरी तरह से और सही ढंग से अपने सभी काम कर रही है। आगे इस इकाई के संचालन, रख-रखाव और देखरेख की सारी ज़िम्मेदारी भारत की है।
विगत 30 मार्च को कुडनकुलम एटमी बिजलीघर की दूसरी इकाई ने भी व्यावसायिक स्तर पर बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है।
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