क्या रूस बशर असद को मँझधार में ही छोड़ देगा?
सीरिया को लेकर स्थिति फिर तनावपूर्ण हो गई है। विगत 4 अप्रैल को सीरिया के इद्लिब प्रदेश में किए गए रासायनिक हमले के लिए पश्चिमी देशों ने बशर असद की सरकार को दोषी ठहराना शुरू कर दिया, जबकि सीरियाई सरकार और रूस ने इस आरोप को मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद पश्चिमी राजनयिकों ने फिर से यह माँग करनी शुरू कर दी कि बशार असद को राष्ट्रपति पद छोड़ देना चाहिए और रूस पर यह आरोप लगाना शुरू कर दिया कि वह जानबूझकर बशर असद की सरकार का समर्थन कर रहा है।
सँयुक्त राष्ट्र में अमरीका की प्रतिनिधि निकी हेली ने कहा कि सीरियाई संकट के भावी राजनीतिक समाधान में बशर असद की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। अमरीका के विदेशमन्त्री रेक्स टिलरसन ने तो अपनी आगामी रूस यात्रा से पहले 10 अप्रैल को सीरिया में जारी रक्तपात के लिए रूस को भी ज़िम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा — रूसी लोग अब कुछ समय के लिए बशर असद की हरकतों पर परदा डालने की कोशिश करेंगे।
रूस सीरिया में क्यों लड़ रहा है?
उसी समय निकी हेली ने कहा कि अब पश्चिमी देश बशर असद का समर्थन करने के लिए रूस के ख़िलाफ़ नए प्रतिबन्ध लगाने के सवाल पर विचार करेंगे। फिलहाल पश्चिमी देश और उनके सहयोगी देश रूस से सिर्फ़ यह अपील कर रहे हैं कि वह सीरियाई सरकार का समर्थन करना बन्द कर दे। मीडिया द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, मस्क्वा (मास्को) में हुई बातचीत के समय रेक्स टिलरसन ने भी यही बात कही है। लेकिन उनका यह प्रस्ताव कितना यथार्थवादी है?
रूस सरकार का नज़रिया
रूस पहले की तरह ही सीरिया के सवाल पर बड़ी सतर्कता के साथ अपनी बात कह रहा है। रूस यह ज़ोर दे रहा है कि वह सीरिया में सीरिया की कानूनी सरकार का समर्थन कर रहा है। उस सरकार का प्रमुख कौन है – असद या कोई और – रूस इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विगत 6 अप्रैल को रूस के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव दिमित्री पिस्कोफ़ ने इद्लिब में रासायनिक हमले के बाद कहा कि रूस असद का बिना शर्त समर्थन नहीं कर रहा है। पिस्कोफ़ ने कहा कि रूस और सीरिया पूरी तरह से आपस में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।
आज जब पश्चिमी देश और इस इलाके के तुर्की, इज़रायल तथा फ़ारस की खाड़ी के अरब देश असद सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं, रूस और ईरान असद सरकार का समर्थन कर रहे हैं। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन और ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने सीरियाई वायुसैनिक अड्डे पर अमरीकी मिसाइल हमले के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि अमरीका को एक सार्वभौम देश के खिलाफ़ हमलावर कार्रवाइयाँ नहीं करनी चाहिए।
रूस के विश्व अर्थव्यवस्था और अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध संस्थान के विशेषज्ञ वीक्तर नदेइन रयेवस्की ने रूस-भारत संवाद से बात करते हुए कहा — क्रेमलिन का नज़रिया यह है कि असद सीरिया के राष्ट्रपति रहें या नहीं, इसका फ़ैसला सीरिया की जनता को करना चाहिए, डोनाल्ड ट्रम्प को नहीं। नदेइन रयेवस्की का कहना है कि रूस सीरियाई संकट के बारे में अपना नज़रिया नहीं बदलेगा और सीरिया की सरकार व सीरियाई विद्रोहियों के बीच जिनेवा और अस्ताना में सुलह कराने की अपनी कोशिशें जारी रखेगा, हालाँकि अब अमरीकी मिसाइल हमले के बाद ऐसा करना रूस के लिए बहुत मुश्किल होगा।
सीरिया पर अमरीकी हमले के बाद तीन तरह की संभावनाएँ
असद की समस्या
रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय के आधुनिक एशिया विभाग के प्रोफ़ेसर ग्रिगोरी कसाच ने कहा — हालाँकि रूसी वायुसेना सीरियाई सेना की सहायता कर रही है, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि रूस सीरिया का बिना शर्त समर्थन नहीं कर रहा है। असद कभी भी रूस की कठपुतली नहीं रहे हैं और उनकी गतिविधियाँ, उनके काम, उनके बयान कई बार रूसी नज़रिए के ख़िलाफ़ भी रहे हैं। जैसे असद अक्सर यह कहते रहे हैं कि सीरिया में राजनीतिक सुधार शुरू करने से पहले यह ज़रूरी है कि आतंकवादियों को पहले पूरी तरह से नष्ट किया जाए, जबकि रूस यह चाहता है कि सीरिया में जल्दी से जल्दी राजनीतिक सुधार की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए।
ग्रिगोरी कसाच ने कहा — लेकिन इसके बावजूद रूस सीरिया की सरकार को अपनी बात से सहमत नहीं करा पाता। सीरिया में असद ही रूस के मुख्य सहयोगी हैं। अगर बशर असद के साथ रूस सहयोग करना बन्द कर देगा तो आज तक सीरिया में रूस ने जो कुछ भी बनाया है, वह सब भी तुरन्त गँवा देगा क्योंकि सीरियाई विपक्ष के साथ रूस के रिश्ते नहीं हैं और सीरियाई विपक्ष के साथ रिश्ते बनाने की रूस की संभावनाएँ भी बहुत सीमित हैं। कसाच ने कहा — रूस असद के साथ अपने रिश्तों में किसी भी तरह का बदलाव लाने या उनसे अपनी बात मनवाने की स्थिति में नहीं है।
सीरिया को रूसी समर्थन की सीमा
विश्लेषकों का कहना है कि सीरिया को रूस एक सीमा तक ही समर्थन दे सकता है। ऐसा शायद ही होगा कि रूस सीरिया की सरकार को बचाने के लिए अमरीका के साथ युद्ध करने को तैयार हो जाएगा। जब रूसी समाचारपत्र ’कमेरसान्त’ के संवाददाता ने रूस के रक्षा मन्त्रालय के एक अधिकारी से यह सवाल किया कि पिछली 7 अप्रैल को अमरीकी मिसाइल हमले के समय रूसी वायु सुरक्षा प्रणालियों ने अमरीकी टोमाहॉक मिसाइलों को मार गिराने की कोशिश क्यों नहीं की तो उस अधिकारी ने कहा — सीरिया में तैनात रूसी वायु सुरक्षा प्रणालियाँ वहाँ बने रूसी सैन्य-अड्डों की सुरक्षा कर रही हैं। सीरियाई सेना की सुरक्षा करना हमारा उद्देश्य नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषक अलिक्सेय अरबातफ़ ने ’कमेरसान्त एफ़एम’ रेडियो से बात करते हुए कहा — रूस का उद्देश्य असद को बचाना नहीं है। हमारी वायु सुरक्षा प्रणालियाँ वहाँ बने हमारे अपने वायुसैनिक अड्डे और नौसैनिक अड्डे की सुरक्षा करने के लिए हैं। सीरिया कोई हमारा सैन्य सहयोगी नहीं है, वह तो हमारा सिर्फ़, एक सहयोगी भर है।
ग्रिगोरी कसाच का भी यही मानना है कि सीरिया के राष्ट्रपति को बचाने के लिए रूस अमरीका से युद्ध नहीं करेगा। अगर यह संकट इतना बढ़ जाएगा कि अमरीका से सीधे टकराव का खतरा पैदा हो जाएगा, तो रूस को सीरियाई समस्या में सहयोग करने का कोई दूसरा रास्ता ढूँढ़ना होगा। लेकिन अभी ऐसी हालत पैदा नहीं हुई है कि या तो असद का समएर्थन करो या लड़ाई करो, इसलिए आने वाले समय में रूस शायद ही अपनी नीतियों में कोई बदलाव करेगा।
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